निसदिन रटु मां आपनै,धर हिवड़ै में ध्यान।
भीड़ पड़ी में भगवती, सेवग राखो शान।।1।।
उठता पैलां आवड़ा,माजी थारौ नाम।
निसरै मुख सूं करनला, अवनी आठों याम।।1।।
दुस्ट दलन कर डोकरी,सगती मेट संताप।
दुसमण सगळा दोजखी,मर ज्या आपो आप।।3।।
भूली किण विद भगवती,सेवग लेवण सार।
कानां पडतां करनला,पल में सुणो पुकार।।4।।
अजय तणी आराधना, सगती सुणजै खास।
अपण भगत री आवड़ा,आई सुण अरदास।।5।।
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