श्री करणी वंदना

मढडा वाळी माताने वंदन अमारा

नित उठी प्रभाते करु दर्शन तमारा

मढडा वाळी माताने वंदन अमारा !

कठण कळीकाळ मां माँ आशरो तमारो

बाळक जाणी मने पार उतारो

अज्ञान रूपी दूर करो अंधारा

मढडा वाळी माता ने वंदन अमारा !

भवसागरमा भूलो पड्यो छु

तव चरणो मा मा खूब रड्यो छु

आंसु लूछी ने कापो कष्ट अमारा

मढडावाळी माताने वंदन अमारा !

चारण कूळमा जनम धर्यो छे

देविपुत्र नो बीरुद मळ्यो छे

छतां ए जीव करे कर्म नठारा

मढडा वाळी माता ने वंदन अमारा !

चारणो नी साक्षी मळे छे वेदो मां

उपनिषद रामायण ने भागवत श्र्लोको मां

चार वरण मां थी जणाये छे बारा

मढडावाळी माताने वंदन अमारा !

वर्णासन मा तमे जुओ ने तपासी

ब्राह्मण क्षत्रीय वैश्य शुद्र ने चोरासी

देव कोटी मां खुद ब्रह्मा गणनारा

मढडावाळी माताने वंदन अमारा !

इशरदास जी ये अलखने आराध्या

हरिरस देवियाण ग्रंथ बनाव्या

अमर नाम करी चारण कुळ तारनारा

मढडावाळी माताने वंदन अमारा !

नारायण निवाज्या ज्यारे सांया झुला पर

सांढडी भरी आपी एने सोना महोर

थाळ बनावी प्रभु चरणे धरनारा

मढडावाळी माता ने वंदन अमारा !

आवा पुरुषो थया चारण ज्ञाती मां

वैरागी वचनो जेना लागे छाती मां

नित नारायण ने देजो दर्शन तमारा

मढडावाळी माता ने वंदन अमारा !

टिप्पणियाँ