श्री करणी वंदना

कर शुद्ध बुद्ध मन करनला
अशुद्ध काढ़ अज्ञान
धर सुरसत उर धरनला
गुण कीरत घण ज्ञान।।
कर वचन सिद्ध करनला
अर अणन्द उर आण।
धजबन्द धीरज धरनला
देवी मढ़ देशाण।।
नित पत नमो नारायणी
समाड़ी रहे सदाय
चाड़ो शब्दमाल  चारणी
नित नित शीश नमाय।।
सहस्त्र कारज सारणी
कोटिक नाम कहाय।
पात प्रभाते प्रणमें
शरण राख शुरराय।।
((कवि राजन झणकली))
जय श्री करणी सैंणल मॉ 🙏

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