मेहा घर जनमी महमाया
किनियां कुळ सुवाप कहाया
बाजत थाळ मृदंग बजाया
रिधु बाई निज नाम रखाया।।
आई हिंगोळ मात अवतारी
पात मेहा जद आप पुकारी
करणी रूप धरयो किरतारी
परचा खूब दिया परचारी।।
नाहर रूप देपे निरखाई
मानी सगत रूपम महमाई
दम्भी बण कूपम दरशाई
अंणदे खातिर जद तू आई।।
जगड़ू शाह की जाज तिराई
टूटी ऊंठे टांग जुड़ाई
कपटी काने की कुबधाई
मात पलक मो मोत बताई।।
लाखन पूत जमलोके लाई
मूषक बण रेवे मढ़ मांई
राव बीके नों राज दिराई
देवी जोधाणे नींव धराई।।
(कवि राजन झणकली)
🚩जय श्री करणी इन्द्रेश मॉ 🙏
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